क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी रसोई में रखे सिरके की तीखी गंध का रासायनिक आधार क्या है? या फिर जब आप नेल पॉलिश रिमूवर का उपयोग करते हैं तो वह तेज़ गंध कहाँ से आती है? यह सब कार्बनिल यौगिकों की अद्भुत दुनिया का हिस्सा है।
आज हम रसायन विज्ञान के एक अत्यंत महत्वपूर्ण अध्याय की यात्रा पर निकल रहे हैं – एल्डिहाइड, कीटोन और कार्बोक्जिलिक अम्ल (aldehydes, ketones and carboxylic acids)। यह अध्याय न केवल आपकी बोर्ड परीक्षा के लिए अत्यावश्यक है, बल्कि यह आपको कार्बनिक रसायन की उन्नत अवधारणाओं को समझने में भी सहायता करेगा।
हमारे दैनिक जीवन में ये यौगिक हर जगह मौजूद हैं – खुशबू से लेकर दवाइयों तक, खाद्य संरक्षकों से लेकर प्लास्टिक निर्माण तक। वैनिला की मीठी सुगंध (वैनिलिन – एक एल्डिहाइड), एसीटोन का उपयोग, और सिरके में मौजूद एसिटिक अम्ल – ये सभी इस अध्याय के मुख्य विषय हैं।
अध्ययन का उद्देश्य (Learning Objectives)
इस अध्याय को पूरा करने के बाद, आप निम्नलिखित में सक्षम होंगे:
- संरचना और नामकरण की समझ (Structure and Nomenclature Understanding): एल्डिहाइड, कीटोन और कार्बोक्जिलिक अम्ल की IUPAC तथा सामान्य नामकरण प्रणाली को समझना और लागू करना
- भौतिक गुणधर्मों का विश्लेषण (Analysis of Physical Properties): इन यौगिकों के क्वथनांक, घुलनशीलता और अन्य भौतिक गुणों के पैटर्न को समझना और पूर्वानुमान लगाना
- रासायनिक अभिक्रियाओं में दक्षता (Proficiency in Chemical Reactions): सभी प्रमुख अभिक्रियाओं जैसे न्यूक्लियोफिलिक योगज, ऑक्सीकरण, अपचयन और प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में महारत हासिल करना
- अभिक्रिया तंत्र की गहरी समझ (Deep Understanding of Reaction Mechanisms): अभिक्रिया तंत्रों को चरणबद्ध रूप से समझना और परीक्षा में सटीक रूप से चित्रित करना
- पहचान परीक्षणों की जानकारी (Knowledge of Identification Tests): विभिन्न क्रियाशील समूहों के रासायनिक परीक्षण और उनके अनुप्रयोगों की जानकारी
- औद्योगिक महत्व की समझ (Understanding of Industrial Importance): इन यौगिकों के व्यावसायिक उपयोग और महत्व की समझ
मूलभूत अवधारणाएं और परिचय (Basic Concepts and Introduction)
कार्बनिल यौगिक क्या हैं? (What are Carbonyl Compounds?)
कार्बनिल समूह (C=O) कार्बनिक रसायन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्रियाशील समूह है। इसे समझने के लिए एक सरल उदाहरण लेते हैं – जैसे चुंबक लोहे के टुकड़ों को अपनी ओर खींचता है, वैसे ही ऑक्सीजन परमाणु अपनी उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर खींचता है।
कार्बनिल समूह की विशेषताएं (Characteristics of Carbonyl Group):
- यह एक अत्यधिक ध्रुवीय समूह है
- कार्बन परमाणु पर आंशिक धनावेश (δ+) और ऑक्सीजन पर आंशिक ऋणावेश (δ-) होता है
- यह न्यूक्लियोफिलिक आक्रमण के लिए संवेदनशील होता है

वर्गीकरण (Classification)
कार्बनिल यौगिकों को मुख्यतः दो श्रेणियों में बांटा जाता है:
1. एल्डिहाइड (Aldehydes):
- सामान्य सूत्र: R-CHO
- कार्बनिल कार्बन कम से कम एक हाइड्रोजन परमाणु से जुड़ा होता है
- उदाहरण: फॉर्मेल्डिहाइड (HCHO), एसीटेल्डिहाइड (CH₃CHO)
2. कीटोन (Ketones):
- सामान्य सूत्र: R-CO-R’
- कार्बनिल कार्बन दो एल्किल या एरिल समूहों से जुड़ा होता है
- उदाहरण: एसीटोन (CH₃COCH₃), बेंजोफिनोन (C₆H₅COC₆H₅)
वास्तविक जीवन से जुड़ाव:
फॉर्मेल्डिहाइड का उपयोग जीव विज्ञान प्रयोगशाला में नमूनों को संरक्षित करने के लिए किया जाता है, जबकि एसीटोन नेल पॉलिश रिमूवर के रूप में उपयोग होता है।
कार्बोक्जिलिक अम्ल का परिचय (Introduction to Carboxylic Acids)
कार्बोक्जिलिक अम्ल में कार्बनिल समूह और हाइड्रॉक्सिल समूह दोनों मिलकर कार्बॉक्सिल समूह (-COOH) बनाते हैं।
सामान्य सूत्र: R-COOH
यह समूह विशेष रूप से दिलचस्प है क्योंकि यह अम्लीय गुण प्रदर्शित करता है। जब आप नींबू के रस में खट्टाहट महसूस करते हैं, तो वास्तव में आप साइट्रिक अम्ल (एक कार्बोक्जिलिक अम्ल) का स्वाद ले रहे होते हैं।
नामकरण प्रणाली (Nomenclature System)
IUPAC नामकरण (IUPAC Nomenclature)
एल्डिहाइड के लिए नामकरण नियम (Nomenclature Rules for Aldehydes):
- सबसे लंबी कार्बन श्रृंखला खोजें जिसमें एल्डिहाइड समूह हो
- श्रृंखला को इस प्रकार संख्यांकित करें कि एल्डिहाइड कार्बन को संख्या 1 मिले
- मूल एल्केन के नाम से ‘-e’ हटाकर ‘-al’ जोड़ें
उदाहरण:
- CH₃CHO = एथेनल (एसीटेल्डिहाइड नहीं)
- CH₃CH₂CHO = प्रोपेनल
- CH₃CH₂CH₂CHO = ब्यूटेनल
कीटोन के लिए नामकरण नियम (Nomenclature Rules for Ketones):
- सबसे लंबी कार्बन श्रृंखला खोजें जिसमें कीटोन समूह हो
- श्रृंखला को इस प्रकार संख्यांकित करें कि कीटोन समूह को सबसे छोटी संख्या मिले
- मूल एल्केन के नाम से ‘-e’ हटाकर ‘-one’ जोड़ें
उदाहरण:
- CH₃COCH₃ = प्रोपेनोन (एसीटोन)
- CH₃COCH₂CH₃ = ब्यूटेनोन (मिथाइल एथिल कीटोन)
- CH₃CH₂COCH₂CH₃ = पेंटेन-3-ओन
कार्बोक्जिलिक अम्ल के लिए नामकरण नियम (Nomenclature Rules for Carboxylic Acids):
- सबसे लंबी कार्बन श्रृंखला खोजें जिसमें कार्बॉक्सिल समूह हो
- कार्बॉक्सिल कार्बन को संख्या 1 दें
- मूल एल्केन के नाम से ‘-e’ हटाकर ‘-oic acid’ जोड़ें
उदाहरण:
- HCOOH = मिथेनोइक अम्ल (फॉर्मिक अम्ल)
- CH₃COOH = एथेनोइक अम्ल (एसिटिक अम्ल)
- CH₃CH₂COOH = प्रोपेनोइक अम्ल
रसायन जांच:
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखें:
- CH₃CH₂CHO
- CH₃CH₂COCH₃
- CH₃CH₂COOH
उत्तर: 1. प्रोपेनल, 2. ब्यूटेनोन, 3. प्रोपेनोइक अम्ल
सामान्य नाम (Common Names)
कई यौगिकों के सामान्य नाम भी होते हैं जो ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं:
एल्डिहाइड के सामान्य नाम:
- HCHO: फॉर्मेल्डिहाइड
- CH₃CHO: एसीटेल्डिहाइड
- C₆H₅CHO: बेंजेल्डिहाइड
कीटोन के सामान्य नाम:
- CH₃COCH₃: एसीटोन
- CH₃COC₂H₅: मिथाइल एथिल कीटोन (MEK)
कार्बोक्जिलिक अम्ल के सामान्य नाम:
- HCOOH: फॉर्मिक अम्ल
- CH₃COOH: एसिटिक अम्ल
- C₆H₅COOH: बेंजोइक अम्ल
भौतिक गुणधर्म (Physical Properties)
ध्रुवीयता और अंतर-आणविक बल (Polarity and Intermolecular Forces)
एल्डिहाइड और कीटोन में:
- कार्बनिल समूह की ध्रुवीयता के कारण द्विध्रुव-द्विध्रुव अंतर्क्रिया होती है
- हालांकि, ये हाइड्रोजन बंधन नहीं बना सकते (क्योंकि इनमें O-H बंध नहीं है)
- इसलिए इनके क्वथनांक संबंधित एल्कोहल से कम होते हैं
कार्बोक्जिलिक अम्ल में:
- प्रबल हाइड्रोजन बंधन होता है
- वास्तव में, ये द्विक (dimer) निर्माण करते हैं
- इसलिए इनके क्वथनांक बहुत अधिक होते हैं

क्वथनांक की प्रवृत्तियां (Boiling Point Trends)
प्रवृत्ति: कार्बोक्जिलिक अम्ल > एल्डिहाइड ≈ कीटोन > हाइड्रोकार्बन
उदाहरण:
- एथेन (C₂H₆): -89°C
- एथेनल (CH₃CHO): 21°C
- प्रोपेनोन (CH₃COCH₃): 56°C
- एथेनोइक अम्ल (CH₃COOH): 118°C
यह प्रवृत्ति हाइड्रोजन बंधन की शक्ति को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती है।
घुलनशीलता (Solubility)
निम्न सदस्य (C₁ से C₄ तक) पानी में अच्छी तरह घुलते हैं क्योंकि:
- कार्बनिल ऑक्सीजन पानी के साथ हाइड्रोजन बंधन बना सकता है
- छोटी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला हाइड्रोफोबिक अंतर्क्रिया को न्यूनतम करती है
उच्च सदस्य कम घुलते हैं क्योंकि हाइड्रोकार्बन श्रृंखला की हाइड्रोफोबिक प्रकृति प्रभावी होने लगती है।
वास्तविक रसायन कॉलआउट:
यही कारण है कि एसीटोन (नेल पॉलिश रिमूवर) पानी में मिल जाता है, लेकिन बड़े कीटोन तेल की तरह होते हैं।
एल्डिहाइड और कीटोन की तैयारी (Preparation of Aldehydes and Ketones)
एल्डिहाइड की तैयारी (Preparation of Aldehydes)
1. प्राथमिक एल्कोहल का ऑक्सीकरण (Oxidation of Primary Alcohols):
प्रक्रिया: प्राथमिक एल्कोहल से एल्डिहाइड ऑक्सीकरण
चरण 1: प्राथमिक एल्कोहल + ऑक्सीकारक → एल्डिहाइड + पानी
चरण 2: कार्बोक्जिलिक अम्ल में आगे के ऑक्सीकरण को रोकने के लिए सावधानी चाहिए
चरण 3: PCC (पाइरिडिनियम क्लोरोक्रोमेट) जैसे मृदु ऑक्सीकारक का उपयोग करें
अभिक्रिया: R-CH₂OH + [O] → R-CHO + H₂O
सामान्य त्रुटि चेतावनी:
छात्र अक्सर भूल जाते हैं कि एल्डिहाइड आसानी से कार्बोक्जिलिक अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाते हैं। इसलिए नियंत्रित ऑक्सीकरण आवश्यक है।
2. एल्कीन का ओजोनअपघटन (Ozonolysis of Alkenes):
यह विधि विशेष रूप से तब उपयोगी है जब विशिष्ट एल्डिहाइड चाहिए।
3. रोसेनमुंड अपचयन (Rosenmund Reduction):
अम्ल क्लोराइड को एल्डिहाइड में परिवर्तित करना।
अभिक्रिया: R-COCl + H₂/Pd-BaSO₄ → R-CHO + HCl
कीटोन की तैयारी (Preparation of Ketones)
1. द्वितीयक एल्कोहल का ऑक्सीकरण (Oxidation of Secondary Alcohols):
अभिक्रिया: R-CHOH-R’ + [O] → R-CO-R’ + H₂O
यह प्रक्रिया एल्डिहाइड से आसान है क्योंकि कीटोन आगे ऑक्सीकृत नहीं होते।
2. फ्रीडेल-क्राफ्ट्स एसाइलेशन (Friedel-Crafts Acylation):
एरोमैटिक कीटोन के लिए बहुत महत्वपूर्ण विधि है।
अभिक्रिया: C₆H₆ + R-COCl + AlCl₃ → C₆H₅-CO-R + HCl
3. एल्काइन का जल योजन (Hydration of Alkynes):
टर्मिनल एल्काइन से मिथाइल कीटोन बनाने के लिए।
रसायन जांच:
निम्नलिखित रूपांतरणों के लिए उपयुक्त विधियों का सुझाव दें:
- एथेनोल → एथेनल
- प्रोपेन-2-ओल → प्रोपेनोन
- बेंजीन → एसीटोफिनोन
उत्तर: 1. PCC ऑक्सीकरण, 2. K₂Cr₂O₇/H₂SO₄, 3. फ्रीडेल-क्राफ्ट्स एसाइलेशन
रासायनिक अभिक्रियाएं – न्यूक्लियोफिलिक योगज (Chemical Reactions – Nucleophilic Addition)
न्यूक्लियोफिलिक योगज का तंत्र (Mechanism of Nucleophilic Addition)
यह कार्बनिल यौगिकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण अभिक्रिया प्रकार है। आइए इसे चरणबद्ध रूप से समझते हैं:
प्रक्रिया: न्यूक्लियोफिलिक योगज तंत्र
चरण 1: न्यूक्लियोफाइल कार्बनिल समूह के इलेक्ट्रोफिलिक कार्बन पर आक्रमण करता है
चरण 2: कार्बन-ऑक्सीजन द्विक बंध टूटता है, ऑक्सीजन पर ऋणावेश आता है
चरण 3: प्रोटोनेशन होकर ऋणावेश को उदासीन करता है
चरण 4: अंतिम उत्पाद का निर्माण
यह क्यों होता है?
कार्बनिल कार्बन आंशिक रूप से धनावेशित होता है (δ+), इसलिए न्यूक्लियोफाइल इस पर आक्रमण करते हैं।

हाइड्रोजन साइनाइड के साथ अभिक्रिया (Reaction with Hydrogen Cyanide)
अभिक्रिया: R-CHO + HCN → R-CH(OH)CN (साइनोहाइड्रिन)
यह अभिक्रिया विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि:
- यह कार्बन श्रृंखला की लंबाई बढ़ाती है
- साइनोहाइड्रिन को आगे परिवर्तित किया जा सकता है
तंत्र:
- CN⁻ कार्बनिल कार्बन पर आक्रमण करता है
- मध्यवर्ती ऋणायन बनता है
- प्रोटोनेशन से साइनोहाइड्रिन बनता है
वास्तविक रसायन कॉलआउट:
साइनोहाइड्रिन औषधि उद्योग में महत्वपूर्ण मध्यवर्ती हैं।
अमोनिया और इसके व्युत्पन्नों के साथ अभिक्रिया (Reaction with Ammonia and its Derivatives)
1. प्राथमिक ऐमीन के साथ:
R-CHO + NH₂-R’ → R-CH=N-R’ + H₂O (इमीन या शिफ बेस)
2. हाइड्रॉक्सिलऐमीन के साथ:
R-CHO + NH₂OH → R-CH=NOH + H₂O (ऑक्जीम)
3. हाइड्राजीन के साथ:
R-CHO + NH₂-NH₂ → R-CH=N-NH₂ + H₂O (हाइड्राजोन)
4. फिनाइलहाइड्राजीन के साथ:
R-CHO + NH₂-NH-C₆H₅ → R-CH=N-NH-C₆H₅ + H₂O (फिनाइलहाइड्राजोन)
ये सभी अभिक्रियाएं पहचान परीक्षणों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
एल्कोहल के साथ अभिक्रिया (Reaction with Alcohols)
हेमिएसीटल और एसीटल निर्माण:
चरण 1: R-CHO + ROH → R-CH(OH)OR (हेमिएसीटल)
चरण 2: R-CH(OH)OR + ROH → R-CH(OR)₂ + H₂O (एसीटल)
यह अभिक्रिया अम्ल उत्प्रेरित होती है और सुरक्षात्मक समूह रसायन में बहुत काम आती है।
ऑक्सीकरण और अपचयन अभिक्रियाएं (Oxidation and Reduction Reactions)
एल्डिहाइड का ऑक्सीकरण (Oxidation of Aldehydes)
एल्डिहाइड आसानी से कार्बोक्जिलिक अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाते हैं:
R-CHO + [O] → R-COOH
सामान्य ऑक्सीकारक:
- टॉलेन अभिकर्मक [Ag(NH₃)₂]⁺: रजत दर्पण परीक्षण
- फेहलिंग विलयन: Cu²⁺ से Cu₂O (ईंट लाल अवक्षेप)
- बेनेडिक्ट विलयन: फेहलिंग के समान
- KMnO₄: प्रबल ऑक्सीकारक
रसायन जांच:
टॉलेन परीक्षण में क्या होता है?
उत्तर: एल्डिहाइड रजत आयनों को धात्विक रजत में अपचयित करता है, जो परखनली की दीवारों पर दर्पण जैसी परत बनाता है।
कीटोन का व्यवहार (Behavior of Ketones)
महत्वपूर्ण बिंदु: कीटोन सामान्यतः मृदु परिस्थितियों में ऑक्सीकरण का प्रतिरोध करते हैं। यह एल्डिहाइड और कीटोन के बीच मुख्य अंतर है।
हालांकि, प्रबल ऑक्सीकारक परिस्थितियों में कीटोन टूट सकते हैं।
अपचयन अभिक्रियाएं (Reduction Reactions)
1. उत्प्रेरकीय हाइड्रोजनीकरण (Catalytic Hydrogenation):
R-CHO + H₂/Ni → R-CH₂OH (प्राथमिक एल्कोहल)
R-CO-R’ + H₂/Ni → R-CHOH-R’ (द्वितीयक एल्कोहल)
2. रासायनिक अपचयन (Chemical Reduction):
LiAlH₄ (लिथियम एल्यूमिनियम हाइड्राइड) – बहुत प्रबल अपचायक
NaBH₄ (सोडियम बोरोहाइड्राइड) – मृदु अपचायक
3. क्लेमेंसन अपचयन (Clemmensen Reduction):
Zn-Hg/HCl से कार्बनिल समूह पूर्णतः अपचयित होकर -CH₂- बन जाता है।
4. वोल्फ-किश्नर अपचयन (Wolff-Kishner Reduction):
NH₂-NH₂/KOH/गर्मी से भी पूर्ण अपचयन होती है।
प्रक्रिया: क्लेमेंसन बनाम वोल्फ-किश्नर अपचयन
क्लेमेंसन: अम्लीय परिस्थितियां, Zn-Hg अमलगम
वोल्फ-किश्नर: क्षारीय परिस्थितियां, हाइड्राजीन और प्रबल क्षार
दोनों C=O को CH₂ में बदलते हैं, लेकिन परिस्थितियां विपरीत हैं
कार्बोक्जिलिक अम्ल – तैयारी और गुण (Carboxylic Acids – Preparation and Properties)
कार्बोक्जिलिक अम्ल की तैयारी (Preparation of Carboxylic Acids)
1. प्राथमिक एल्कोहल और एल्डिहाइड का ऑक्सीकरण (Oxidation of Primary Alcohols and Aldehydes):
यह सबसे सामान्य विधि है।
R-CH₂OH → R-CHO → R-COOH
ऑक्सीकारक: KMnO₄, K₂Cr₂O₇, आदि।
2. नाइट्राइल का जल-अपघटन (Hydrolysis of Nitriles):
R-CN + H₂O/H⁺ → R-COOH + NH₃
यह विधि कार्बन श्रृंखला को बनाए रखती है।
3. ग्रिग्नार्ड अभिकर्मक के साथ CO₂:
R-MgX + CO₂ → R-COOMgX → R-COOH (जल-अपघटन के बाद)
यह विधि कार्बन श्रृंखला की लंबाई बढ़ाती है।
सामान्य त्रुटि चेतावनी:
छात्र अक्सर भ्रमित हो जाते हैं कि ग्रिग्नार्ड अभिक्रिया में CO₂ जुड़ता है, CO नहीं।
अम्लीय गुण (Acidic Properties)
कार्बोक्जिलिक अम्ल अम्लीय क्यों हैं?
कार्बोक्जिलिक अम्ल अम्लीय हैं क्योंकि:
- O-H बंध आसानी से टूटता है
- संयुग्मी क्षार (कार्बोक्जिलेट ऋणायन) अनुनाद स्थायित्व प्राप्त करता है

अम्लता क्रम:
- इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने वाले समूह अम्लता बढ़ाते हैं
- इलेक्ट्रॉन दान करने वाले समूह अम्लता घटाते हैं
उदाहरण: CCl₃COOH > CHCl₂COOH > CH₂ClCOOH > CH₃COOH
अम्ल-क्षार अभिक्रियाएं (Acid-Base Reactions)
1. धातु के साथ:
2R-COOH + 2Na → 2R-COONa + H₂
2. धातु कार्बोनेट के साथ:
2R-COOH + Na₂CO₃ → 2R-COONa + H₂O + CO₂
3. धातु बाइकार्बोनेट के साथ:
R-COOH + NaHCO₃ → R-COONa + H₂O + CO₂
वास्तविक रसायन कॉलआउट:
बेकिंग सोडा (NaHCO₃) के साथ सिरका (एसिटिक अम्ल) की अभिक्रिया से CO₂ निकलती है, जो सफाई में काम आती है।
विशिष्ट अभिक्रियाएं और व्युत्पन्न (Specific Reactions and Derivatives)
हेल-वोलहार्ड-जेलिंस्की अभिक्रिया (Hell-Volhard-Zelinsky Reaction)
यह अभिक्रिया α-हाइड्रोजन को हैलोजन से बदलती है।
R-CH₂-COOH + Br₂/P → R-CHBr-COOH + HBr
तंत्र:
- फॉस्फोरस से अम्ल क्लोराइड निर्माण
- एनॉल रूप में हैलोजनीकरण
- जल-अपघटन से हैलोजनीकृत अम्ल
एस्टर निर्माण (Ester Formation)
फिशर एस्टरीकरण:
R-COOH + R’-OH ⇌ R-COOR’ + H₂O (H⁺ उत्प्रेरक)
यह साम्यावस्था अभिक्रिया है, इसलिए H₂O हटाना आवश्यक है।
एसिल क्लोराइड विधि:
R-COCl + R’-OH → R-COOR’ + HCl
यह विधि अधिक प्रभावी है।
एमाइड निर्माण (Amide Formation)
प्रत्यक्ष गर्मी (बहुत प्रभावी नहीं):
R-COOH + NH₃ → R-COONH₄ → R-CONH₂ + H₂O
बेहतर विधि – एसिल क्लोराइड:
R-COCl + NH₃ → R-CONH₂ + HCl
डिकार्बोक्सिलेशन (Decarboxylation)
कुछ विशिष्ट मामलों में कार्बोक्जिलिक अम्ल CO₂ खो देते हैं:
1. सोडालाइम के साथ:
R-COONa + NaOH → R-H + Na₂CO₃
2. β-कीटो अम्ल: स्वतः डिकार्बोक्सिलेशन
R-CO-CH₂-COOH → R-CO-CH₃ + CO₂
पहचान परीक्षण (Identification Tests)
एल्डिहाइड की पहचान (Identification of Aldehydes)
1. टॉलेन परीक्षण (रजत दर्पण परीक्षण):
- अभिकर्मक: अमोनियायुक्त रजत नाइट्रेट
- धनात्मक परिणाम: रजत दर्पण निर्माण
- अभिक्रिया: R-CHO + 2[Ag(NH₃)₂]⁺ + 3OH⁻ → R-COO⁻ + 2Ag↓ + 4NH₃ + 2H₂O
2. फेहलिंग परीक्षण:
- अभिकर्मक: फेहलिंग A + फेहलिंग B
- धनात्मक परिणाम: ईंट लाल अवक्षेप (Cu₂O)
- अभिक्रिया: R-CHO + 2Cu²⁺ + 5OH⁻ → R-COO⁻ + Cu₂O↓ + 3H₂O
3. बेनेडिक्ट परीक्षण:
फेहलिंग परीक्षण के समान लेकिन अलग अभिकर्मक संरचना
सामान्य त्रुटि चेतावनी:
एरोमैटिक एल्डिहाइड (जैसे बेंजेल्डिहाइड) फेहलिंग और बेनेडिक्ट परीक्षण नहीं देते, लेकिन टॉलेन परीक्षण देते हैं।
कीटोन की पहचान (Identification of Ketones)
1. 2,4-DNP परीक्षण:
एल्डिहाइड और कीटोन दोनों पीला/नारंगी अवक्षेप देते हैं।
2. आयोडोफॉर्म परीक्षण:
मिथाइल कीटोन और द्वितीयक एल्कोहल धनात्मक परीक्षण देते हैं।
R-CO-CH₃ + 3I₂ + 4NaOH → R-COONa + CHI₃↓ + 3NaI + 3H₂O
आयोडोफॉर्म (CHI₃) का पीला अवक्षेप बनता है।
कार्बोक्जिलिक अम्ल की पहचान (Identification of Carboxylic Acids)
1. लिटमस परीक्षण:
नीले लिटमस को लाल कर देते हैं।
2. सोडियम बाइकार्बोनेट परीक्षण:
R-COOH + NaHCO₃ → R-COONa + H₂O + CO₂↑
CO₂ गैस का निकलना होता है।
3. एस्टर परीक्षण:
एल्कोहल के साथ गर्म करने पर फलों जैसी गंध आती है।
औद्योगिक महत्व और अनुप्रयोग (Industrial Importance and Applications)
फॉर्मेल्डिहाइड (Formaldehyde)
उपयोग:
- बेकेलाइट (फिनॉल-फॉर्मेल्डिहाइड राल) उत्पादन
- फॉर्मेलिन (40% जलीय विलयन) – संरक्षक
- प्लाईवुड निर्माण में चिपकाने वाला पदार्थ
- वस्त्र उद्योग में सिकुड़न-प्रतिरोधी फिनिश
उत्पादन: मेथेनॉल का उत्प्रेरकीय ऑक्सीकरण
CH₃OH + ½O₂ → HCHO + H₂O (रजत उत्प्रेरक, 600°C)
एसीटेल्डिहाइड (Acetaldehyde)
उपयोग:
- एसिटिक अम्ल उत्पादन
- एथिल एसीटेट संश्लेषण
- दवाइयों और इत्र में मध्यवर्ती
एसीटोन (Acetone)
उपयोग:
- विलायक – नेल पॉलिश रिमूवर, पेंट थिनर
- प्लास्टिक निर्माण (पॉलीमिथाइल मेथाक्रिलेट)
- औषधि उद्योग में मध्यवर्ती
वास्तविक रसायन कॉलआउट:
COVID-19 महामारी के दौरान हैंड सैनिटाइजर की मांग बढ़ने से आइसोप्रोपाइल एल्कोहल (एसीटोन व्युत्पन्न) की मांग भी बढ़ी।
एसिटिक अम्ल (Acetic Acid)
औद्योगिक उत्पादन:
मोंसैंटो प्रक्रिया: CO + CH₃OH → CH₃COOH (रोडियम उत्प्रेरक)
उपयोग:
- सिरका (5-8% जलीय विलयन)
- सेलुलोज एसीटेट (फोटोग्राफिक फिल्म)
- एस्पिरिन संश्लेषण में प्रारंभिक पदार्थ
- खाद्य संरक्षक
बेंजोइक अम्ल (Benzoic Acid)
उपयोग:
- खाद्य संरक्षक (सोडियम बेंजोएट के रूप में)
- सौंदर्य प्रसाधन में रोगाणुरोधी एजेंट
- रंग मध्यवर्ती
अभ्यास प्रश्न (Practice Problems)
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन सा यौगिक सबसे अधिक अम्लीय है?
a) CH₃COOH
b) CCl₃COOH
c) CH₂ClCOOH
d) CHCl₂COOH
समाधान:
उत्तर: (b) CCl₃COOH
व्याख्या: इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने वाले समूह (जैसे Cl) अम्लता बढ़ाते हैं। तीन क्लोरीन परमाणु अधिकतम इलेक्ट्रॉन आकर्षण प्रभाव देते हैं, इसलिए CCl₃COOH सबसे अम्लीय है। क्रम: CCl₃COOH > CHCl₂COOH > CH₂ClCOOH > CH₃COOH
प्रश्न 2. टॉलेन अभिकर्मक के साथ धनात्मक परीक्षण देने वाला यौगिक है:
a) CH₃COCH₃
b) CH₃CHO
c) CH₃COOH
d) CH₃CH₂OH
समाधान:
उत्तर: (b) CH₃CHO
व्याख्या: एल्डिहाइड टॉलेन परीक्षण देते हैं (रजत दर्पण निर्माण)। कीटोन, कार्बोक्जिलिक अम्ल, और एल्कोहल यह परीक्षण नहीं देते।
प्रश्न 3. आयोडोफॉर्म परीक्षण धनात्मक देने वाला यौगिक है:
a) CH₃COCH₃
b) CH₃CH₂CHO
c) HCHO
d) CH₃COOH
समाधान:
उत्तर: (a) CH₃COCH₃
व्याख्या: मिथाइल कीटोन (R-CO-CH₃) और द्वितीयक एल्कोहल (R-CHOH-CH₃) आयोडोफॉर्म परीक्षण देते हैं। CH₃COCH₃ (एसीटोन) एक मिथाइल कीटोन है।
केस स्टडी आधारित प्रश्न (Case Study Based Questions)
केस स्टडी 1: एक कार्बनिक यौगिक A का आणविक सूत्र C₃H₆O है। यह टॉलेन परीक्षण धनात्मक देता है लेकिन आयोडोफॉर्म परीक्षण ऋणात्मक देता है। A को मृदु ऑक्सीकरण से यौगिक B मिलता है जो NaHCO₃ के साथ CO₂ गैस निकालता है।
प्रश्न:
- यौगिक A की संरचना पहचानें। (2 अंक)
- यौगिक B की संरचना लिखें। (1 अंक)
- A से B के रूपांतरण का संतुलित समीकरण लिखें। (2 अंक)
समाधान:
- यौगिक A: CH₃CH₂CHO (प्रोपेनल)
तर्क: टॉलेन परीक्षण धनात्मक का मतलब एल्डिहाइड है। आयोडोफॉर्म परीक्षण ऋणात्मक का मतलब यह मिथाइल कीटोन नहीं है। C₃H₆O सूत्र के साथ यह प्रोपेनल होगा। - यौगिक B: CH₃CH₂COOH (प्रोपेनोइक अम्ल)
तर्क: NaHCO₃ के साथ CO₂ निकालना कार्बोक्जिलिक अम्ल की विशेषता है। - संतुलित समीकरण:
CH₃CH₂CHO + [O] → CH₃CH₂COOH
(प्रोपेनल + ऑक्सीकारक → प्रोपेनोइक अम्ल)
संख्यात्मक समस्याएं (Numerical Problems)
प्रश्न 1. 0.1 M एसिटिक अम्ल विलयन की वियोजन की मात्रा 1.34% है। इसका वियोजन स्थिरांक (Ka) की गणना करें।
समाधान:
दिया गया:
- सांद्रता (C) = 0.1 M
- वियोजन की मात्रा (α) = 1.34% = 0.0134
सूत्र: Ka = Cα²/(1-α)
गणना:
Ka = (0.1 × (0.0134)²)/(1 – 0.0134)
Ka = (0.1 × 0.00018)/(0.9866)
Ka = 0.000018/0.9866
Ka = 1.82 × 10⁻⁵
उत्तर: Ka = 1.82 × 10⁻⁵
तर्क आधारित प्रश्न (Reasoning-Based Questions)
प्रश्न 1. एल्डिहाइड का क्वथनांक संबंधित एल्केन से अधिक क्यों होता है लेकिन संबंधित एल्कोहल से कम क्यों होता है? (3 अंक)
समाधान:
एल्केन से अधिक:
- एल्डिहाइड में ध्रुवीय C=O बंध होता है
- द्विध्रुव-द्विध्रुव अंतर्क्रिया मौजूद होती है
- एल्केन में केवल कमजोर वैन डर वाल्स बल होती हैं
एल्कोहल से कम:
- एल्कोहल में O-H बंध होता है जो हाइड्रोजन बंधन करता है
- हाइड्रोजन बंधन द्विध्रुव-द्विध्रुव अंतर्क्रिया से प्रबल होता है
- एल्डिहाइड हाइड्रोजन बंधन नहीं कर सकते (कोई O-H बंध नहीं)
सामान्य त्रुटियां और सुझाव (Common Errors and Tips)
परीक्षा में अक्सर होने वाली गलतियां (Common Exam Mistakes)
1. नामकरण त्रुटियां:
- क्रियाशील समूह को प्राथमिकता में संख्यांकन करना भूल जाते हैं
- IUPAC और सामान्य नामों में भ्रम
- सुझाव: हमेशा क्रियाशील समूह को सबसे कम संख्या दें
2. तंत्र चित्रण:
- वक्र तीर गलत दिशा में खींचते हैं
- औपचारिक आवेश छूट जाते हैं
- सुझाव: इलेक्ट्रॉन की गति को सावधानी से ट्रैक करें
3. परीक्षण पहचान:
- टॉलेन और फेहलिंग परीक्षण को मिला देते हैं
- एरोमैटिक एल्डिहाइड के व्यवहार को भूल जाते हैं
- सुझाव: प्रत्येक परीक्षण की विशिष्ट शर्तें और सीमाएं याद रखें
निष्कर्ष (Conclusion)
मुख्य बिंदुओं का सारांश (Summary of Key Points)
इस व्यापक अध्ययन गाइड में हमने एल्डिहाइड, कीटोन और कार्बोक्जिलिक अम्ल के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर किया है। आइए मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में देखते हैं:
1. क्रियाशील समूह की पहचान:
- एल्डिहाइड: R-CHO (टर्मिनल कार्बनिल)
- कीटोन: R-CO-R’ (आंतरिक कार्बनिल)
- कार्बोक्जिलिक अम्ल: R-COOH (कार्बॉक्सिल समूह)
2. रासायनिक व्यवहार के पैटर्न:
- एल्डिहाइड आसानी से ऑक्सीकृत होते हैं
- कीटोन ऑक्सीकरण का प्रतिरोध करते हैं
- कार्बोक्जिलिक अम्ल अम्लीय गुण दिखाते हैं
3. अभिक्रिया तंत्र:
- न्यूक्लियोफिलिक योगज कार्बनिल यौगिकों के लिए मुख्य अभिक्रिया प्रकार है
- अनुनाद स्थायित्व कार्बोक्जिलिक अम्ल की अम्लता को समझाता है
4. औद्योगिक अनुप्रयोग:
- सभी यौगिक वर्गों में व्यापक व्यावसायिक उपयोग हैं
- औषधि से खाद्य उद्योग तक व्यापक अनुप्रयोग
वास्तविक रसायन अंतिम कॉलआउट:
जब आप रसोई में खाना बनाते हैं, फार्मेसी से दवा लेते हैं, या सौंदर्य प्रसाधन का उपयोग करते हैं, तो आप वास्तव में इन यौगिकों के साथ बातचीत कर रहे होते हैं। रसायन केवल पाठ्यपुस्तक में नहीं है – यह हमारे चारों ओर है!
इस व्यापक गाइड के साथ, आप CBSE कक्षा 12 रसायन विज्ञान के इस महत्वपूर्ण अध्याय में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। याद रखें, निरंतर अभ्यास और अवधारणात्मक समझ ही सफलता की कुंजी है।
आपकी मेहनत और इस गाइड के व्यापक कवरेज के साथ, आप निश्चित रूप से इस अध्याय में उत्कृष्ट प्रदर्शन दे सकेंगे। रसायन का आनंद लें और इसके वास्तविक जीवन के अनुप्रयोगों की सराहना करें! आपकी परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएं!
Recommended –