कक्षा 12 रसायन विज्ञान अध्याय 4: d और f ब्लॉक तत्व(d and f Block Elements) – नोट्स, NCERT समाधान व महत्वपूर्ण प्रश्न (2025-26)

रसायन की रंग-बिरंगी दुनिया (Colorful World of Chemistry)

क्या आपने कभी सोचा है कि हीमोग्लोबिन क्यों लाल है? या फिर तांबे के बर्तन हरे क्यों हो जाते हैं? इन सभी रहस्यों की चाबी छुपी है d और f ब्लॉक तत्वों(d and f Block Elements) में। जब आप फोटोग्राफी में चांदी का उपयोग देखते हैं, जब आप स्टेनलेस स्टील के बर्तन इस्तेमाल करते हैं, या जब आप रंग-बिरंगी आतिशबाजी देखते हैं – तो आप दरअसल d और f ब्लॉक तत्वों के जादू को देख रहे होते हैं।

ये तत्व न केवल हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग हैं, बल्कि आधुनिक तकनीक की रीढ़ भी हैं। कंप्यूटर की हार्ड डिस्क से लेकर कैंसर के इलाज तक, MRI मशीन से लेकर LED बल्ब तक – हर जगह इन तत्वों का योगदान है। यह अध्याय आपको इन अद्भुत तत्वों की दुनिया में ले जाएगा, जहां आप न केवल उनके गुणों को समझेंगे बल्कि यह भी जानेंगे कि कैसे ये हमारी आधुनिक दुनिया को आकार देते हैं।

CBSE बोर्ड परीक्षा में यह यूनिट 8 अंकों का होता है और अक्सर परीक्षा में 1-2 प्रश्न इससे जरूर आते हैं। इसकी खासियत यह है कि इसमें सिद्धांत और व्यावहारिक दोनों पहलू हैं, जो इसे एक रोचक विषय बनाता है।

अध्ययन का उद्देश्य (Learning Objectives)

इस अध्याय के अंत में आप सक्षम होंगे:

  1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास की महारत: d और f ब्लॉक तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को समझना और लिखना
  2. गुणधर्मों का विश्लेषण: इन तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुणों की तुलना और व्याख्या करना
  3. समन्वय रसायन की समझ: समन्वय यौगिकों की संरचना, नामकरण और गुणों को समझना
  4. औद्योगिक अनुप्रयोग: इन तत्वों के दैनिक जीवन और उद्योग में उपयोग को पहचानना
  5. रासायनिक अभिक्रियाओं का ज्ञान: महत्वपूर्ण अभिक्रियाओं और उनके तंत्र को समझना
  6. परीक्षा तैयारी: CBSE पैटर्न के अनुसार प्रश्नों को हल करने की कुशलता विकसित करना

आवर्त सारणी में d और f ब्लॉक तत्वों की स्थिति (Position of d and f Block Elements in Periodic Table)

आवर्त सारणी को समझना एक नक्शा पढ़ने जैसा है। जैसे नक्शे में अलग-अलग इलाकों की अपनी विशेषताएं होती हैं, वैसे ही आवर्त सारणी के अलग-अलग ब्लॉक्स की अपनी खासियतें हैं।

d ब्लॉक तत्व (d Block Elements):
d ब्लॉक तत्व आवर्त सारणी के मध्य भाग में स्थित हैं। ये तत्व s और p ब्लॉक के बीच एक सेतु का काम करते हैं। इसीलिए इन्हें संक्रमण तत्व (Transition Elements) कहा जाता है। ये तत्व 3rd से 12th group तक फैले हुए हैं।

मुख्य विशेषताएं:

  • परमाणु क्रमांक 21-30 (3d श्रृंखला)
  • परमाणु क्रमांक 39-48 (4d श्रृंखला)
  • परमाणु क्रमांक 57, 72-80 (5d श्रृंखला)
  • परमाणु क्रमांक 89, 104-112 (6d श्रृंखला)

f ब्लॉक तत्व (f Block Elements):
f ब्लॉक तत्व आवर्त सारणी के नीचे अलग से दिखाए जाते हैं। ये दो श्रृंखलाओं में बंटे हैं:

  1. लैंथेनाइड श्रृंखला (Lanthanide Series): परमाणु क्रमांक 58-71
  2. एक्टिनाइड श्रृंखला (Actinide Series): परमाणु क्रमांक 90-103
आवर्त सारणी में d और f ब्लॉक तत्वों की स्थिति दिखाने वाला रंग-कोडेड चार्ट
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Common Error Alert: अक्सर छात्र La (लैंथेनम) और Ac (एक्टिनियम) को f ब्लॉक में गिनते हैं, जबकि ये d ब्लॉक के तत्व हैं।

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास: तत्वों का DNA (Electronic Configuration: The DNA of Elements)

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को समझना उस घर के नक्शे को समझने जैसा है जिसमें इलेक्ट्रॉन रहते हैं। जैसे घर में कमरों का एक क्रम होता है, वैसे ही ऑर्बिटल्स में भी इलेक्ट्रॉन्स का एक निश्चित क्रम होता है।

d ब्लॉक तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic Configuration of d Block Elements)

d ब्लॉक तत्व वे हैं जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन d ऑर्बिटल में जाता है। इनका सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d¹⁻¹⁰ ns¹⁻² होता है।

पहली श्रृंखला (3d Series) के उदाहरण:

  • Sc (21): [Ar] 3d¹ 4s²
  • Ti (22): [Ar] 3d² 4s²
  • V (23): [Ar] 3d³ 4s²
  • Cr (24): [Ar] 3d⁵ 4s¹ (अपवाद)
  • Mn (25): [Ar] 3d⁵ 4s²
  • Fe (26): [Ar] 3d⁶ 4s²
  • Co (27): [Ar] 3d⁷ 4s²
  • Ni (28): [Ar] 3d⁸ 4s²
  • Cu (29): [Ar] 3d¹⁰ 4s¹ (अपवाद)
  • Zn (30): [Ar] 3d¹⁰ 4s²

Chemistry Check: Cr और Cu के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास अपवाद क्यों हैं?
उत्तर: अर्धभरे (d⁵) और पूर्णभरे (d¹⁰) ऑर्बिटल्स की अतिरिक्त स्थिरता के कारण।

f ब्लॉक तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic Configuration of f Block Elements)

f ब्लॉक तत्वों में अंतिम इलेक्ट्रॉन f ऑर्बिटल में जाता है। इनका सामान्य विन्यास (n-2)f¹⁻¹⁴ (n-1)d⁰⁻¹ ns² होता है।

लैंथेनाइड श्रृंखला के उदाहरण:

  • Ce (58): [Xe] 4f¹ 5d¹ 6s²
  • Pr (59): [Xe] 4f³ 6s²
  • Nd (60): [Xe] 4f⁴ 6s²
  • Gd (64): [Xe] 4f⁷ 5d¹ 6s² (अपवाद)

PROCESS: इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखने की चरणबद्ध विधि – ऑफबाऊ सिद्धांत से शुरू करके हुंड के नियम और पाउली अपवर्जन सिद्धांत का प्रयोग

संक्रमण तत्वों के सामान्य गुणधर्म (General Properties of Transition Elements)

संक्रमण तत्व प्रकृति के बहुमुखी कलाकार हैं। जैसे एक अच्छा अभिनेता कई भूमिकाएं निभा सकता है, वैसे ही ये तत्व कई अलग-अलग गुण दिखाते हैं।

भौतिक गुणधर्म (Physical Properties)

1. धात्विक गुण (Metallic Character):
सभी संक्रमण तत्व धातुएं हैं। ये चमकदार, आघातवर्ध्य और तन्य होती हैं। इनमें धातुओं के सभी मुख्य गुण होते हैं।

2. घनत्व (Density):
संक्रमण तत्वों का घनत्व आम तौर पर उच्च होता है। यह d ऑर्बिटल्स के कारण प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने से होता है।

3. गलनांक और क्वथनांक (Melting and Boiling Points):
ये आमतौर पर उच्च होते हैं क्योंकि धातु परमाणुओं के बीच मजबूत धात्विक बंधन होते हैं।

Real-World Chemistry: टंगस्टन (W) का गलनांक 3695°C है, जो सबसे अधिक है। इसीलिए इसका उपयोग बल्ब के फिलामेंट में किया जाता है।

4. परमाणु और आयनिक त्रिज्या (Atomic and Ionic Radii):
श्रृंखला में बाएं से दाएं जाने पर परमाणु त्रिज्या पहले घटती है फिर बढ़ती है। इसे “d-ब्लॉक संकुचन” कहते हैं।

3d श्रृंखला में परमाणु त्रिज्या का ग्राफ दिखाने वाला चार्ट

रासायनिक गुणधर्म (Chemical Properties)

1. परिवर्तनीय ऑक्सीकरण अवस्था (Variable Oxidation States):
यह संक्रमण तत्वों का सबसे महत्वपूर्ण गुण है। जैसे मैंगनीज (Mn) +2 से +7 तक की ऑक्सीकरण अवस्था दिखा सकता है।

उदाहरण:

  • MnO₂ (Mn की ऑक्सीकरण अवस्था +4)
  • KMnO₄ (Mn की ऑक्सीकरण अवस्था +7)
  • MnSO₄ (Mn की ऑक्सीकरण अवस्था +2)

2. रंगीन यौगिक बनाना (Formation of Coloured Compounds):
d ऑर्बिटल्स में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन्स के कारण ये तत्व रंगीन यौगिक बनाते हैं।

रंगों के उदाहरण:

  • Cu²⁺ आयन: नीला
  • Cr³⁺ आयन: हरा
  • Fe³⁺ आयन: भूरा-पीला
  • Mn²⁺ आयन: गुलाबी

Common Error Alert: Zn²⁺ और Sc³⁺ रंगहीन होते हैं क्योंकि इनमें d ऑर्बिटल्स पूर्णतः भरे या खाली होते हैं।

3. उत्प्रेरकीय गुण (Catalytic Properties):
संक्रमण तत्व और उनके यौगिक उत्कृष्ट उत्प्रेरक होते हैं।

महत्वपूर्ण औद्योगिक उत्प्रेरक:

  • Fe: हैबर प्रक्रिया में (NH₃ का संश्लेषण)
  • V₂O₅: संपर्क प्रक्रिया में (H₂SO₄ का निर्माण)
  • Ni: वनस्पति तेल के हाइड्रोजनीकरण में

4. संकुल यौगिक बनाना (Complex Formation):
छोटे आकार और उच्च आवेश घनत्व के कारण ये तत्व आसानी से संकुल यौगिक बनाते हैं।

समन्वय यौगिक: रसायन के आर्किटेक्चर (The Architecture of Chemistry)

समन्वय यौगिक समझना एक सुंदर इमारत के डिजाइन को समझने जैसा है। जैसे इमारत में मुख्य स्तंभ होते हैं और चारों ओर अन्य संरचनाएं होती हैं, वैसे ही समन्वय यौगिक में केंद्रीय धातु आयन होता है और उसके चारों ओर लिगेंड्स होते हैं।

वर्नर का सिद्धांत (Werner’s Theory)

अल्फ्रेड वर्नर ने 1893 में समन्वय यौगिकों की व्याख्या के लिए एक क्रांतिकारी सिद्धांत दिया। इस कार्य के लिए उन्हें 1913 में नोबेल पुरस्कार मिला।

वर्नर के सिद्धांत के मुख्य बिंदु:

  1. द्विविध संयोजकता (Dual Valency): धातु के दो प्रकार की संयोजकताएं होती हैं:
  • प्राथमिक संयोजकता (Primary Valency): आयनीकरण संयोजकता
  • द्वितीयक संयोजकता (Secondary Valency): समन्वय संयोजकता
  1. समन्वय संख्या (Coordination Number): केंद्रीय धातु आयन के चारों ओर लगे लिगेंड्स की संख्या।
  2. समन्वय क्षेत्र (Coordination Sphere): केंद्रीय आयन और उससे प्रत्यक्ष रूप से जुड़े लिगेंड्स।

Historical Context: वर्नर ने यह सिद्धांत तब दिया था जब इलेक्ट्रॉन और परमाणु संरचना के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।

समन्वय यौगिकों की संरचना (Structure of Coordination Compounds)

मुख्य घटक:

1. केंद्रीय परमाणु/आयन (Central Atom/Ion):
आमतौर पर धातु का परमाणु या आयन होता है। यह इलेक्ट्रॉन जोड़ों को स्वीकार करता है।

2. लिगेंड्स (Ligands):
ये आयन या अणु होते हैं जो केंद्रीय परमाणु को इलेक्ट्रॉन जोड़ा दान करते हैं।

लिगेंड्स के प्रकार:

  • एकदंती (Monodentate): एक इलेक्ट्रॉन जोड़ा दान करते हैं
    उदाहरण: Cl⁻, NH₃, H₂O, CN⁻
  • द्विदंती (Bidentate): दो इलेक्ट्रॉन जोड़े दान करते हैं
    उदाहरण: एथिलीनडाइअमीन (en), ऑक्जैलेट (ox)
  • बहुदंती (Polydentate): तीन या अधिक इलेक्ट्रॉन जोड़े दान करते हैं
    उदाहरण: EDTA (छह दान स्थल)

3. समन्वय संख्या (Coordination Number):
केंद्रीय परमाणु के चारों ओर के दान स्थलों की कुल संख्या।

सामान्य समन्वय संख्याएं: 2, 4, 6 (सबसे आम)

विभिन्न समन्वय संख्याओं की ज्यामितियां - रैखिक, वर्गाकार समतलीय, चतुष्फलकीय, अष्टफलकीय
Image Credit – UEN Digital Press

नामकरण (Nomenclature)

समन्वय यौगिकों का नामकरण IUPAC नियमों के अनुसार किया जाता है। यह एक व्यवस्थित प्रक्रिया है।

नामकरण के नियम:

  1. धनायन का नाम पहले: [Co(NH₃)₆]Cl₃ में Co(NH₃)₆³⁺ धनायन है
  2. लिगेंड्स का क्रम: तटस्थ फिर ऋणायन, वर्णमाला के अनुसार
  3. उपसर्ग संख्याओं के लिए: di-, tri-, tetra-, penta-, hexa-
  4. धातु के बाद ऑक्सीकरण अवस्था: रोमन अंकों में
  5. ऋणायनिक संकुल में -ate प्रत्यय: [Fe(CN)₆]⁴⁻ = फेरोसायनेट

उदाहरण:

  • [Co(NH₃)₆]Cl₃: हेक्सामाइनकोबाल्ट(III) क्लोराइड
  • [PtCl₄]²⁻: टेट्राक्लोरोप्लैटिनेट(II) आयन
  • [Cr(H₂O)₆]Cl₃: हेक्साएक्वाक्रोमियम(III) क्लोराइड

Chemistry Check: [Cu(NH₃)₄]SO₄ का नाम क्या होगा?
उत्तर: टेट्रामाइनकॉपर(II) सल्फेट

समावयवता (Isomerism)

समावयवता का मतलब है “समान आणविक सूत्र, अलग संरचना”। यह समन्वय यौगिकों की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।

मुख्य प्रकार:

1. संरचनात्मक समावयवता (Structural Isomerism):

a) आयनीकरण समावयवता (Ionization Isomerism):

  • [Co(NH₃)₅Br]SO₄ और [Co(NH₃)₅SO₄]Br
  • पहले में Br⁻ समन्वय क्षेत्र में, दूसरे में SO₄²⁻

b) जल-योजन समावयवता (Hydration Isomerism):

  • [Cr(H₂O)₆]Cl₃ (बैंगनी)
  • [Cr(H₂O)₅Cl]Cl₂·H₂O (हरा)
  • [Cr(H₂O)₄Cl₂]Cl·2H₂O (गहरा हरा)

c) बंधन समावयवता (Linkage Isomerism):
NO₂⁻ लिगेंड N से जुड़े (नाइट्रो) या O से जुड़े (नाइट्राइटो)

2. त्रिविम समावयवता (Stereoisomerism):

a) ज्यामितीय समावयवता (Geometrical Isomerism):
वर्गाकार समतलीय और अष्टफलकीय संकुलों में मिलती है।

  • cis-समावयव: समान लिगेंड्स पास-पास
  • trans-समावयव: समान लिगेंड्स विपरीत दिशा में

b) प्रकाशीय समावयवता (Optical Isomerism):
जब यौगिक में समरूपता तल नहीं होता।

PROCESS: समावयवता की पहचान – चरणबद्ध विधि जिसमें आणविक सूत्र से शुरू करके संभावित संरचनाओं तक पहुंचना

Common Error Alert: छात्र अक्सर cis-trans में गलती करते हैं। याद रखें: cis = करीब, trans = ट्रांसफर (दूर)।

क्रिस्टल फील्ड सिद्धांत: इलेक्ट्रॉन्स का नृत्य (Crystal Field Theory: The Dance of Electrons)

क्रिस्टल फील्ड सिद्धांत समझना एक ऑर्केस्ट्रा के संगीत को समझने जैसा है। जैसे अलग-अलग वाद्य यंत्र अलग-अलग स्वर निकालते हैं, वैसे ही लिगेंड्स के प्रभाव से d ऑर्बिटल्स की ऊर्जा अलग-अलग हो जाती है।

मूल सिद्धांत (Basic Principles)

मुख्य अवधारणाएं:

  1. d ऑर्बिटल्स मूल रूप से समान ऊर्जा के होते हैं (अपरिमित परमाणु में)
  2. लिगेंड्स के इलेक्ट्रिक फील्ड के कारण d ऑर्बिटल्स की ऊर्जा अलग हो जाती है
  3. यह विभाजन यौगिक के रंग और चुंबकीय गुण निर्धारित करता है

अष्टफलकीय संकुलों में d ऑर्बिटल विभाजन (d Orbital Splitting in Octahedral Complexes)

अष्टफलकीय ज्यामिति में d ऑर्बिटल्स दो समूहों में बंट जाते हैं:

1. t₂g ऑर्बिटल्स (निम्न ऊर्जा):

  • dxy, dxz, dyz
  • ये लिगेंड्स से दूर होते हैं

2. eg ऑर्बिटल्स (उच्च ऊर्जा):

  • dx²-y², dz²
  • ये लिगेंड्स के सामने होते हैं

क्रिस्टल फील्ड विभाजन ऊर्जा (Δo): eg और t₂g के बीच की ऊर्जा का अंतर।

अष्टफलकीय संकुल में d ऑर्बिटल्स का ऊर्जा स्तर आरेख
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उच्च स्पिन और निम्न स्पिन संकुल (High Spin and Low Spin Complexes)

जब d⁴ से d⁷ इलेक्ट्रॉन विन्यास हो, तो दो संभावनाएं हैं:

उच्च स्पिन संकुल (High Spin Complex):

  • कमजोर फील्ड लिगेंड्स
  • Δo < युग्मन ऊर्जा
  • अधिकतम अयुग्मित इलेक्ट्रॉन्स

निम्न स्पिन संकुल (Low Spin Complex):

  • प्रबल फील्ड लिगेंड्स
  • Δo > युग्मन ऊर्जा
  • न्यूनतम अयुग्मित इलेक्ट्रॉन्स

Real-World Chemistry: [Fe(H₂O)₆]²⁺ उच्च स्पिन है (4 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन्स), जबकि [Fe(CN)₆]⁴⁻ निम्न स्पिन है (0 अयुग्मित इलेक्ट्रॉन्स)।

स्पेक्ट्रोकेमिकल श्रृंखला (Spectrochemical Series)

लिगेंड्स को उनकी फील्ड प्रबलता के अनुसार व्यवस्थित करने से स्पेक्ट्रोकेमिकल श्रृंखला बनती है:

कमजोर फील्ड ← → प्रबल फील्ड
I⁻ < Br⁻ < Cl⁻ < F⁻ < OH⁻ < H₂O < NH₃ < en < NO₂⁻ < CN⁻ < CO

रंग की उत्पत्ति (Origin of Color)

समन्वय यौगिकों में रंग d-d इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण के कारण होता है।

रंग का सिद्धांत:

  1. श्वेत प्रकाश में सभी रंग होते हैं
  2. जब यौगिक एक विशेष रंग अवशोषित करता है
  3. तो हमें बचे हुए रंगों का मिश्रण (पूरक रंग) दिखता है

उदाहरण:

  • [Ti(H₂O)₆]³⁺: लाल प्रकाश अवशोषित करता है → बैंगनी दिखता है
  • [Cu(H₂O)₆]²⁺: पीला-हरा अवशोषित करता है → नीला दिखता है

लैंथेनाइड संकुचन: f ब्लॉक का रहस्य (Lanthanide Contraction: The Mystery of f Block)

लैंथेनाइड संकुचन एक दिलचस्प घटना है जो f ब्लॉक तत्वों की विशेषता है। यह समझना एक गुब्बारे से हवा निकलने जैसा है – जैसे-जैसे हवा निकलती है, गुब्बारा छोटा होता जाता है।

लैंथेनाइड संकुचन क्या है? (What is Lanthanide Contraction?)

परिभाषा: लैंथेनाइड श्रृंखला में Ce³⁺ से Lu³⁺ तक जाने पर आयनिक त्रिज्या में निरंतर कमी को लैंथेनाइड संकुचन कहते हैं।

कारण: 4f इलेक्ट्रॉन्स नाभिकीय आवेश से बाहरी इलेक्ट्रॉन्स की अपूर्ण परिरक्षा करते हैं।

लैंथेनाइड संकुचन के प्रभाव (Effects of Lanthanide Contraction)

1. तीसरी श्रृंखला के तत्वों का आकार:
5d श्रृंखला के तत्व 4d श्रृंखला के तत्वों के लगभग समान आकार के होते हैं।

उदाहरण:

  • Zr⁴⁺ (4d): 72 pm
  • Hf⁴⁺ (5d): 71 pm

2. समान गुणधर्म:
Zr और Hf, Nb और Ta जैसे जोड़े के गुण बहुत समान होते हैं।

3. पृथक्करण की कठिनाई:
लैंथेनाइड्स का पृथक्करण कठिन हो जाता है क्योंकि उनके गुण बहुत समान होते हैं।

Current Research: आधुनिक तकनीक में लैंथेनाइड्स का उपयोग बढ़ रहा है – LED, लेजर, और चुंबकीय भंडारण डिवाइसों में।

एक्टिनाइड्स: रेडियोधर्मी दुनिया (Actinoids: The Radioactive World)

एक्टिनाइड्स रसायन विज्ञान के सबसे दिलचस्प और खतरनाक तत्व हैं। ये न केवल रेडियोधर्मी हैं बल्कि परमाणु ऊर्जा की दुनिया की कुंजी भी हैं।

एक्टिनाइड्स की विशेषताएं (Characteristics of Actinoids)

1. रेडियोधर्मिता (Radioactivity):
सभी एक्टिनाइड्स रेडियोधर्मी हैं। U और Th प्रकृति में मिलते हैं, बाकी कृत्रिम हैं।

2. परिवर्तनीय ऑक्सीकरण अवस्था:
लैंथेनाइड्स से अधिक परिवर्तनीय ऑक्सीकरण अवस्थाएं दिखाते हैं।

उदाहरण:

  • U: +3, +4, +5, +6
  • Np: +3, +4, +5, +6, +7
  • Pu: +3, +4, +5, +6, +7

3. संकुल निर्माण:
लैंथेनाइड्स से अधिक संकुल यौगिक बनाते हैं।

4. 5f ऑर्बिटल्स की भूमिका:
5f ऑर्बिटल्स 4f से कम संरक्षित होते हैं, इसलिए बंधन में भाग लेते हैं।

महत्वपूर्ण एक्टिनाइड्स (Important Actinoids)

1. यूरेनियम (Uranium – U):

  • परमाणु क्रमांक: 92
  • U-235: नाभिकीय ईंधन
  • U-238: सबसे आम समस्थानिक

2. प्लूटोनियम (Plutonium – Pu):

  • परमाणु क्रमांक: 94
  • Pu-239: परमाणु हथियार और रिएक्टर ईंधन
  • अत्यधिक जहरीला

3. थोरियम (Thorium – Th):

  • परमाणु क्रमांक: 90
  • भविष्य का परमाणु ईंधन
  • U से सुरक्षित

Process Analysis: यूरेनियम समृद्धीकरण प्रक्रिया:

  1. यूरेनियम अयस्क खनन
  2. UF₆ गैस में रूपांतरण
  3. अपकेंद्रण द्वारा U-235 संवर्धन
  4. रिएक्टर ईंधन में रूपांतरण

महत्वपूर्ण यौगिक और अभिक्रियाएं (Important Compounds and Reactions)

पोटैशियम परमैंगनेट (KMnO₄) – बैंगनी शक्ति (Potassium Permanganate – The Purple Power)

KMnO₄ एक बहुमुखी ऑक्सीकारक है जो अम्लीय, क्षारीय और उदासीन माध्यम में अलग-अलग उत्पाद देता है।

अम्लीय माध्यम में:
MnO₄⁻ + 8H⁺ + 5e⁻ → Mn²⁺ + 4H₂O

क्षारीय माध्यम में:
MnO₄⁻ + 4H⁺ + 3e⁻ → MnO₂ + 2H₂O

उदासीन माध्यम में:
MnO₄⁻ + 4H⁺ + 3e⁻ → MnO₂ + 2H₂O

उपयोग:

  • जल शुद्धीकरण
  • एंटीसेप्टिक
  • प्रयोगशाला में ऑक्सीकारक
  • ऑर्गेनिक रसायन में

पोटैशियम डाइक्रोमेट (K₂Cr₂O₇) – नारंगी ऑक्सीकारक (Potassium Dichromate – The Orange Oxidizer)

महत्वपूर्ण अभिक्रियाएं:
Cr₂O₇²⁻ + 14H⁺ + 6e⁻ → 2Cr³⁺ + 7H₂O

उपयोग:

  • चमड़ा उद्योग में
  • रंग और पेंट में
  • फोटोग्राफी में
  • प्रयोगशाला में ऑक्सीकारक

Common Error Alert: K₂Cr₂O₇ और KMnO₄ दोनों ऑक्सीकारक हैं, लेकिन अम्लीय माध्यम में K₂Cr₂O₇ हरे Cr³⁺ आयन देता है जबकि KMnO₄ रंगहीन Mn²⁺ आयन देता है।

औद्योगिक अनुप्रयोग: दैनिक जीवन में d और f ब्लॉक (Industrial Applications)

स्टील उद्योग में (In Steel Industry)

1. मिश्र धातुएं (Alloys):

  • स्टेनलेस स्टील: Fe + Cr + Ni
  • हाई-स्पीड स्टील: Fe + W + Cr + V
  • कार्बन स्टील: Fe + C + Mn

2. गुणवत्ता सुधार:

  • क्रोमियम: जंग प्रतिरोध
  • मैंगनीज: कठोरता
  • निकेल: मजबूती

उत्प्रेरक उद्योग में (In Catalyst Industry)

महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रक्रियाएं:

1. हैबर प्रक्रिया:
N₂ + 3H₂ ⇌ 2NH₃ (Fe उत्प्रेरक)

2. संपर्क प्रक्रिया:
2SO₂ + O₂ ⇌ 2SO₃ (V₂O₅ उत्प्रेरक)

3. ऑस्टवाल्ड प्रक्रिया:
4NH₃ + 5O₂ → 4NO + 6H₂O (Pt उत्प्रेरक)

इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में (In Electronics Industry)

1. स्थायी चुंबक:

  • Nd-Fe-B मैग्नेट्स (नियोडाइमियम)
  • हार्ड डिस्क ड्राइव में

2. लेजर और LED:

  • Eu³⁺: लाल फॉस्फोर
  • Tb³⁺: हरा फॉस्फोर
  • Ce³⁺: नीला फॉस्फोर

3. सुपरकंडक्टर:

  • YBa₂Cu₃O₇ (YBCO)
  • उच्च तापमान सुपरकंडक्टर

अभ्यास प्रश्न और समाधान (Practice Questions and Solutions)

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा d ब्लॉक तत्व नहीं है?
(a) Sc (b) La (c) Ti (d) Ga

समाधान:
उत्तर: (d) Ga
व्याख्या: Ga (गैलियम) p ब्लॉक तत्व है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d¹⁰ 4s² 4p¹ है। d ब्लॉक तत्वों में अंतिम इलेक्ट्रॉन d ऑर्बिटल में जाता है।

प्रश्न 2: [Co(NH₃)₆]³⁺ में कोबाल्ट की ऑक्सीकरण अवस्था है:
(a) +2 (b) +3 (c) +4 (d) +6

समाधान:
उत्तर: (b) +3
व्याख्या: NH₃ तटस्थ लिगेंड है, इसलिए Co की ऑक्सीकरण अवस्था = संकुल का आवेश = +3

प्रश्न 3: लैंथेनाइड संकुचन का कारण है:
(a) 4f इलेक्ट्रॉन्स की अपूर्ण परिरक्षा
(b) d ऑर्बिटल्स का संकुचन
(c) परमाणु द्रव्यमान में वृद्धि
(d) धात्विक बंधन

समाधान:
उत्तर: (a) 4f इलेक्ट्रॉन्स की अपूर्ण परिरक्षा
व्याख्या: 4f इलेक्ट्रॉन्स नाभिकीय आवेश से बाहरी इलेक्ट्रॉन्स की अपूर्ण परिरक्षा करते हैं, जिससे प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता है और आयनिक त्रिज्या घटती है।

प्रश्न 4: निम्न में से कौन सा आयन रंगीन है?
(a) Sc³⁺ (b) Ti⁴⁺ (c) Zn²⁺ (d) V³⁺

समाधान:
उत्तर: (d) V³⁺
व्याख्या: V³⁺ में d² विन्यास है जिससे d-d संक्रमण संभव है। बाकी आयनों में d⁰ या d¹⁰ विन्यास है।

प्रश्न 5: स्पेक्ट्रोकेमिकल श्रृंखला में सबसे प्रबल फील्ड लिगेंड है:
(a) H₂O (b) NH₃ (c) CN⁻ (d) Cl⁻

समाधान:
उत्तर: (c) CN⁻
व्याख्या: CN⁻ स्पेक्ट्रोकेमिकल श्रृंखला में सबसे प्रबल फील्ड लिगेंड है और निम्न स्पिन संकुल बनाता है।

प्रश्न 6: [Ni(CO)₄] में निकेल की ऑक्सीकरण अवस्था है:
(a) 0 (b) +2 (c) +4 (d) -4

समाधान:
उत्तर: (a) 0
व्याख्या: CO तटस्थ लिगेंड है और संकुल भी तटस्थ है, इसलिए Ni की ऑक्सीकरण अवस्था 0 है।

संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Problems)

प्रश्न 7: CuSO₄·5H₂O के 24.95 g में तांबे की मात्रा ज्ञात करें।
(दिया गया: Cu = 63.5, S = 32, O = 16, H = 1)

समाधान:
चरण 1: CuSO₄·5H₂O का आणविक द्रव्यमान
= 63.5 + 32 + (4×16) + 5(2×1 + 16)
= 63.5 + 32 + 64 + 90 = 249.5 g/mol

चरण 2: Cu की मात्रा = (63.5/249.5) × 24.95
= 6.35 g

प्रश्न 8: 0.1 M K₂Cr₂O₇ के 25 mL को अम्लीय माध्यम में ऑक्सीकरण के लिए कितने मोल Fe²⁺ आयनों की आवश्यकता होगी?

समाधान:
अभिक्रिया: Cr₂O₇²⁻ + 6Fe²⁺ + 14H⁺ → 2Cr³⁺ + 6Fe³⁺ + 7H₂O

चरण 1: K₂Cr₂O₇ के मोल = 0.1 × 25/1000 = 0.0025 mol

चरण 2: अभिक्रिया से, 1 mol Cr₂O₇²⁻ = 6 mol Fe²⁺
इसलिए Fe²⁺ के मोल = 6 × 0.0025 = 0.015 mol

प्रश्न 9: [Co(NH₃)₆]Cl₃ के 26.65 g से कितने ग्राम AgCl प्राप्त होंगे जब इसे अतिरिक्त AgNO₃ से अभिक्रिया कराया जाए?

समाधान:
चरण 1: [Co(NH₃)₆]Cl₃ का आणविक द्रव्यमान = 59 + 6(17) + 3(35.5) = 267.5 g/mol

चरण 2: मिश्रण के मोल = 26.65/267.5 = 0.1 mol

चरण 3: 1 mol [Co(NH₃)₆]Cl₃ से 3 mol AgCl मिलता है
इसलिए AgCl के मोल = 3 × 0.1 = 0.3 mol

चरण 4: AgCl का द्रव्यमान = 0.3 × 143.5 = 43.05 g

आरेखीय प्रश्न (Diagram-based Questions)

प्रश्न 10: अष्टफलकीय संकुल में d⁴ विन्यास के लिए उच्च स्पिन और निम्न स्पिन दोनों के इलेक्ट्रॉन वितरण आरेख बनाएं।

समाधान:

d⁴ विन्यास के लिए ऊर्जा स्तर आरेख जिसमें उच्च स्पिन (t₂g³ eg¹) और निम्न स्पिन (t₂g⁴ eg⁰) दोनों दिखाए गए हों
Image Credit – ResearchGate

उच्च स्पिन (कमजोर फील्ड):

  • t₂g: ↑ ↑ ↑
  • eg: ↑ □
  • अयुग्मित इलेक्ट्रॉन्स = 4

निम्न स्पिन (प्रबल फील्ड):

  • t₂g: ↑↓ ↑ ↑
  • eg: □ □
  • अयुग्मित इलेक्ट्रॉन्स = 2

प्रश्न 11: [PtCl₄]²⁻ की ज्यामिति बताएं और इसके समावयवों के नाम लिखें।

समाधान:
[PtCl₄]²⁻ वर्गाकार समतलीय ज्यामिति दिखाता है।
समावयव: यह केवल एक संरचना संभव है क्योंकि सभी Cl⁻ आयन समान हैं।

केस स्टडी आधारित प्रश्न (Case Study Questions)

प्रश्न 12: हीमोग्लोबिन में आयरन का अध्ययन

हीमोग्लोबिन मानव रक्त में ऑक्सीजन परिवहन करने वाला प्रोटीन है। इसमें हीम समूह होता है जिसके केंद्र में Fe²⁺ आयन होता है। यह चार पायरोल रिंगों से घिरा होता है और एक हिस्टिडीन अमीनो एसिड से जुड़ा होता है।

प्रश्न (i): हीमोग्लोबिन में आयरन की ऑक्सीकरण अवस्था क्या है?
उत्तर: +2

प्रश्न (ii): जब CO हीमोग्लोबिन से जुड़ता है तो क्या होता है?
उत्तर: CO, O₂ से कई गुना मजबूती से Fe²⁺ से जुड़ता है, जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता होती है।

प्रश्न (iii): हीमोग्लोबिन की समन्वय संख्या क्या है?
उत्तर: 6 (चार पायरोल रिंग्स, एक हिस्टिडीन, और एक O₂/H₂O)

प्रश्न 13: विटामिन B₁₂ में कोबाल्ट का अध्ययन

विटामिन B₁₂ (कोबालामिन) में केंद्रीय कोबाल्ट आयन होता है जो कॉरिन रिंग से घिरा होता है। यह मानव शरीर के लिए आवश्यक विटामिन है।

प्रश्न (i): विटामिन B₁₂ में कोबाल्ट की ऑक्सीकरण अवस्था बताएं।
उत्तर: +3

प्रश्न (ii): यह किस बीमारी को रोकता है?
उत्तर: पर्निसियस एनीमिया (Pernicious Anemia)

प्रश्न (iii): इसकी कमी से क्या समस्याएं होती हैं?
उत्तर: न्यूरोलॉजिकल समस्याएं, एनीमिया, और DNA संश्लेषण में बाधा

तर्कसंगत प्रश्न (Reasoning Questions)

प्रश्न 14: Zn²⁺ और Cu²⁺ में से कौन सा आयन रंगीन है और क्यों?

उत्तर: Cu²⁺ आयन रंगीन है जबकि Zn²⁺ रंगहीन है।

कारण:

  • Cu²⁺: [Ar] 3d⁹ (अयुग्मित इलेक्ट्रॉन्स हैं, d-d संक्रमण संभव)
  • Zn²⁺: [Ar] 3d¹⁰ (सभी d ऑर्बिटल्स भरे हैं, d-d संक्रमण संभव नहीं)

प्रश्न 15: संक्रमण तत्व अच्छे उत्प्रेरक क्यों होते हैं?

उत्तर: संक्रमण तत्व निम्न कारणों से अच्छे उत्प्रेरक होते हैं:

  1. परिवर्तनीय ऑक्सीकरण अवस्था: इलेक्ट्रॉन दे और ले सकते हैं
  2. सतह सक्रियता: d ऑर्बिटल्स की उपस्थिति से
  3. संकुल निर्माण: मध्यवर्ती संकुल बना सकते हैं
  4. उपयुक्त आकार: अभिकारकों के साथ संपर्क के लिए

प्रश्न 16: K₂Cr₂O₇ अम्लीय माध्यम में प्रबल ऑक्सीकारक क्यों है?

उत्तर:

  1. इलेक्ट्रॉन स्वीकार करना: Cr⁶⁺ से Cr³⁺ में कमी (6e⁻ स्वीकार करता है)
  2. H⁺ आयनों की उपस्थिति: अम्लीय माध्यम में H⁺ आयन उपलब्ध होते हैं
  3. स्थायी उत्पाद: Cr³⁺ आयन स्थायी होता है
  4. मानक इलेक्ट्रोड विभव: E° = +1.33 V (उच्च धनात्मक मान)

परीक्षा रणनीति और टिप्स (Exam Strategy and Tips)

महत्वपूर्ण सूत्र और नियम (Important Formulas and Rules)

याद रखने योग्य सूत्र:

  1. EAN नियम: EAN = परमाणु संख्या – ऑक्सीकरण अवस्था + 2 × समन्वय संख्या
  2. चुंबकीय आघूर्ण: μ = √n(n+2) BM (जहां n = अयुग्मित इलेक्ट्रॉन्स)
  3. क्रिस्टल फील्ड स्थिरीकरण ऊर्जा: CFSE = (t₂g इलेक्ट्रॉन्स × -0.4Δo) + (eg इलेक्ट्रॉन्स × +0.6Δo)

याद रखने की तकनीक (Memory Aids)

1. स्पेक्ट्रोकेमिकल श्रृंखला के लिए:
“I Brought Cats From Over Hills, New Exciting Nice Cats Come Over”
I⁻ < Br⁻ < Cl⁻ < F⁻ < OH⁻ < H₂O < NH₃ < en < NO₂⁻ < CN⁻ < CO

2. d ऑर्बिटल्स के नाम:
“X-Y जेड X² – Y² Z²” → dxy, dxz, dyz, dx²-y², dz²

3. संक्रमण तत्वों के गुण:
“रंग में चुंबक उत्प्रेरक बदले” → रंगीन यौगिक, चुंबकीय गुण, उत्प्रेरकीय गुण, परिवर्तनीय ऑक्सीकरण अवस्था

सामान्य गलतियां और उनसे बचाव (Common Mistakes and Prevention)

Common Error Alert:

गलती 1: La और Ac को f ब्लॉक में गिनना
सुधार: ये d ब्लॉक तत्व हैं

गलती 2: Zn को संक्रमण तत्व मानना
सुधार: Zn में d¹⁰ विन्यास है, यह संक्रमण तत्व नहीं है

गलती 3: समन्वय संख्या और ऑक्सीकरण अवस्था को मिलाना
सुधार: समन्वय संख्या = लिगेंड्स की संख्या, ऑक्सीकरण अवस्था = धातु पर आवेश

गलती 4: उच्च स्पिन और निम्न स्पिन की गलत पहचान
सुधार: प्रबल फील्ड = निम्न स्पिन, कमजोर फील्ड = उच्च स्पिन

निष्कर्ष: रसायन की रंगबिरंगी दुनिया में आपकी सफलता (Conclusion: Your Success in the Colorful World of Chemistry)

d और f ब्लॉक तत्व रसायन विज्ञान के सबसे रोचक और व्यावहारिक विषयों में से एक है। इन तत्वों ने न केवल हमारी दैनिक जिंदगी को आसान बनाया है बल्कि आधुनिक तकनीक की नींव भी रखी है। जब आप अपने स्मार्टफोन की स्क्रीन देखते हैं, तो याद रखिए कि उसमें इंडियम और टिन के ऑक्साइड का उपयोग है। जब आप MRI करवाते हैं, तो गैडोलिनियम आपकी मदद कर रहा है। जब आप LED बल्ब जलाते हैं, तो यूरोपियम और टर्बियम आपको रोशनी दे रहे हैं।

इस अध्याय की खूबी यह है कि यह सिद्धांत और व्यावहारिक अनुप्रयोग का सुंदर मेल है। आपने देखा कि कैसे इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से तत्वों के गुण निर्धारित होते हैं, कैसे समन्वय यौगिक जटिल संरचनाएं बनाते हैं, और कैसे ये सभी मिलकर हमारी आधुनिक दुनिया को आकार देते हैं।

परीक्षा की दृष्टि से मुख्य बातें:

  1. अवधारणाओं की स्पष्टता: सिर्फ रटने की बजाय समझने पर फ़ोकस करें
  2. नियमित अभ्यास: रोजाना कम से कम 5 प्रश्न जरूर हल करें
  3. आरेख का महत्व: संरचनाएं और प्रक्रियाएं आरेख से बेहतर समझ आती हैं
  4. वास्तविक जीवन से जुड़ाव: हर अवधारणा को दैनिक जीवन से जोड़कर देखें
  5. समय प्रबंधन: परीक्षा में समय का सदुपयोग करना सीखें

भविष्य की तैयारी के लिए सुझाव:

  • यदि आप इंजीनियरिंग करना चाहते हैं, तो d ब्लॉक तत्वों के मैटेरियल साइंस में अनुप्रयोग पर ध्यान दें
  • मेडिकल की तैयारी कर रहे हैं, तो बायोलॉजिकल सिस्टम में इन तत्वों की भूमिका समझें
  • रिसर्च में रुचि है, तो नैनो टेक्नोलॉजी और कैटेलिसिस के क्षेत्र में इनके उपयोग पर फ़ोकस करें

याद रखें :
याद रखिए, मैडम क्यूरी ने रेडियम की खोज करके रसायन विज्ञान में नया अध्याय लिखा था। अल्फ्रेड वर्नर ने समन्वय रसायन की नींव रखी। आज आप जो पढ़ रहे हैं, वह कल के वैज्ञानिकों की खोजों का आधार है। हो सकता है आप में से कोई भविष्य में नए संक्रमण तत्व की खोज करे या फिर कैंसर के इलाज में इन तत्वों का नया उपयोग खोजे।

रसायन विज्ञान केवल एक विषय नहीं है, यह प्रकृति की भाषा है। d और f ब्लॉक तत्व इस भाषा के सबसे रंगीन और जीवंत अक्षर हैं। इन्हें समझकर आप न केवल बोर्ड परीक्षा में सफल होंगे बल्कि जीवन भर इनके जादू का आनंद ले सकेंगे।

सफलता के लिए अंतिम मंत्र:
“नियमित अध्ययन + गहरी समझ + व्यावहारिक अनुप्रयोग = निश्चित सफलता”

आपकी मेहनत और इस गाइड के साथ, CBSE Class 12 Chemistry में शानदार अंक लाना निश्चित है। बस याद रखिए – रसायन विज्ञान एक कहानी है, एक यात्रा है, और आप इसके मुख्य पात्र हैं। अपने सपनों को साकार करने के लिए इस रंगबिरंगी दुनिया में आगे बढ़ते रहें।

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